Main Hijra Main Laxmi by Laxminarayan Tripathi

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  • Author Name : Laxminarayan Tripathi
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  • About Book :लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी की इस पुस्तक मैं हिजड़ा मैं लक्ष्मी को पढ़ने से पढ़ने की क्षमता और अन्य व्यक्तिगत कौशल में सुधार होता है। यह पुस्तक उच्च गुणवत्ता मुद्रण के साथ हिंदी में उपलब्ध है। आत्मकथा श्रेणी की पुस्तकें निश्चित रूप से आपको सबसे अच्छा पढ़ने का अनुभव देती हैं। 'हिजड़ा' मूल उर्दू शब्द है। वो भी 'हिजर' इस अरेबिक शब्द से आया हुआ। हिजर' यानी अपना समुदाय छोड़ा हुआ, उसे समुदाय से बाहर निकला हुआ। मतलब स्त्री-पुरुषों के हमेशा के समाज से बाहर निकलकर स्वतंत्र समाज बना के रहनेवाला । ये अर्थ इस शब्द में ही 1. समाया हुआ है। हमारे पूरे देश में हिजड़ा समाज है और अलग-अलग भाषाओं में उसके लिए अलग-अलग शब्द हैं। अलग-अलग राज्यों के हिसाब से उनका इतिहास, संस्कृति भी जरा-जरा अलग है। उर्दू और हिन्दी में 'हिजड़ा' शब्द है। इसके साथ ही उर्दू में 'ख्वाज़ासरा' भी कहा जाता है हिजड़ों को। अपने प्राचीन ग्रन्थों में 'किन्नर' शब्द की संकल्पना है। इस वजह से हिजड़ों को हिन्दी में 'किन्नर' भी कहते हैं। मराठी में 'हिजड़ा' और 'छक्का' ये दो शब्द प्रचलित हैं। गुजराती में उन्हें 'पावैया' कहते हैं तो पंजाबी में 'खुस्ना' या 'जनखा। तेलुगु में 'नपुंसकुडु', 'कोज्जा', 'मादा' कहा जाता है, तो तमिल में 'शिरूरनान गाई', 'अली', 'अरवन्नी', 'अरावनी', 'अरुवनी' शब्द इस्तेमाल किये जाते हैं। किसी भी भाषा में चाहे जो कहके बुलाएँ, तो भी 'हिजड़ा' संकल्पना थोड़े-से फ़र्क से वही है। 'हिजड़ा' पुरुष के रूप में जन्म लेता है। बचपन से पुरुष के रूप में ही बड़ा होता है... लेकिन मूल रूप से ही उसकी लैंगिकता अलग होती है। बड़ा होते-होते वो स्त्री की भूमिका अपनाने लगता है। उसका दिखना, बर्ताव करना, चाल-ढाल, हाव-भाव सभी लड़कियों की तरह होने लगते हैं उसे खुद भी उसका एहसास होने लगता है। लेकिन समाज की नज़र में ये बातें खलने लगती हैं और लोग उसे चिढ़ाने लगते हैं वो बिल्कुल नासमझ होते हैं, ऐसा नहीं है, और बहुत कुछ समझ में आता है, ऐसा भी नहीं है। ऐसी कच्ची उम्र के ये लड़के फिर उलझन में आ जाते हैं। अकेले रहने लगते हैं मैं कौन हूँ इस सवाल का जवाब हर तरह से खोजते रहते हैं और फिर 'में औरत हैं ऐसा तय करके औरतों के जैसे ही, यानी हिजड़ा बनते हैं
  • About Author : Laxminarayan tripathi 
  • ISBN : 978-93-5229-322-3
  • Book format: Hardcover 
  • Language: Hindi 
  • Book Genre: Non fiction - Biography
  • Number of pages: 176
  • Publisher: Vani Prakashan  
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